Tuesday, 19 November 2024

"कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा॥"

 यह पंक्ति हमें सिखाती है कि जीवन में भगवान के नाम का स्मरण करना ही सच्ची भक्ति और मोक्ष का मार्ग है। यह जीवन को पवित्र, शांतिपूर्ण, और सशक्त बनाता है। नाम जप से आत्मा और परमात्मा का मिलन संभव है, और यही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। 🙏



पंक्तियों का अर्थ:

  1. "कलियुग केवल नाम अधारा":

    • अर्थ: इस कलियुग (वर्तमान युग) में केवल भगवान के नाम का स्मरण (जप) ही मोक्ष और भक्ति का आधार है।
    • भावार्थ: यह युग धर्म-कर्म की जटिल विधियों का पालन करने के लिए कठिन है। ध्यान, यज्ञ, और तप की जगह अब केवल भगवान के नाम का सुमिरन ही जीवन को पवित्र और मुक्त करने का मार्ग है।
  2. "सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा":

    • अर्थ: भगवान के नाम का बार-बार स्मरण (सुमिरन) करने से मनुष्य संसार-सागर से पार हो सकता है।
    • भावार्थ: यह संसार एक कठिन सागर की तरह है, जिसमें दुख, मोह, और माया के बंधन हैं। भगवान का नाम स्मरण वह नाव है, जो इस सागर से पार ले जाती है।

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