चिंता से चतुराई घटे, दु:ख से घटे शरीर।
पा किये लक्ष्मी घटे, कह गये दास कबीर।।
कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय।
भक्ति करे कोई सूरमा, जाति वरन कुल खोय।।
No comments:
Post a Comment